सपना
वो सिर्फ एक सपना था
फिर भी कितना अपना था
टूटता रहता था वो अक्सर
जुड़ जाता जब मिलता अवसर
लगती कील उम्मीदों की जब
चलता जब प्रयासों का हथौड़ा
खुद भले ही घायल हो जाता
फिर भी मेरा साथ न छोड़ा
नींद भले ही कोसों दूर हो
तुम तो मेरे सदैव पास हो
जग चाहे रूठे मुझसे
मेरी आंखो में तेरा निवास हो
© Abhinav Anand
फिर भी कितना अपना था
टूटता रहता था वो अक्सर
जुड़ जाता जब मिलता अवसर
लगती कील उम्मीदों की जब
चलता जब प्रयासों का हथौड़ा
खुद भले ही घायल हो जाता
फिर भी मेरा साथ न छोड़ा
नींद भले ही कोसों दूर हो
तुम तो मेरे सदैव पास हो
जग चाहे रूठे मुझसे
मेरी आंखो में तेरा निवास हो
© Abhinav Anand