...

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बताओ क्या हाल है तुम्हारा...ll
क्या जवाब दें, क्या सवाल था
तुम्हारा
तुम्हारी सभा में बैठा है एक मुसाफिर
बेचारा
झूठ है तुमसे बिछड़ कर, जिंदगी अच्छी
कट रही है
यार कभी कोई अच्छी साल अच्छा दिन आया ही
नहीं, हमारा
तुम्हारे प्यार में शायद इसलिए मर गया मैं
कभी कहा था हमने हुस्न कतई जहर है
तुम्हारा
और हमें जरूरत है, तो हमें ही बढ़ाने पड़ेंगे
कदम
दरिया ने कब किया है किसी कश्ती को
इशारा
वो बोले आंखों में क्यों डूब रहे हो
क्या चाहिए तुम्हें
हमने कहा डूबने वाले को क्या चाहिए
बस एक तिनके का सहारा
कितने नासमझ है, हमारा दिल रख कर भी
नहीं समझ पात
हमसे ही आकर पूछते हैं, बताओ क्या
हाल है तुम्हारा

© jdpoetquotes