मैं तेरी समझ में नहीं_@lysha
तेरी समझ में मैं तो नहीं
फ़कत तू खुद को
समझा कर,
मुसलसल गुजरती शय नहीं
एक बार सफ़ीने से
दरिया देखा कर,,
फ़िज़ाओ में बंदिशें नहीं
परिंदों को अपनापन का
हुनर जताया कर,,,
धीमी धीमी की शार्गिद नहीं
आंखों को पल भर रफ़्तार
सफ़र पे टिकाया कर,,,,
...
फ़कत तू खुद को
समझा कर,
मुसलसल गुजरती शय नहीं
एक बार सफ़ीने से
दरिया देखा कर,,
फ़िज़ाओ में बंदिशें नहीं
परिंदों को अपनापन का
हुनर जताया कर,,,
धीमी धीमी की शार्गिद नहीं
आंखों को पल भर रफ़्तार
सफ़र पे टिकाया कर,,,,
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