◦•●◉✿ पढ़े लिखे या अनपढ़ ✿◉●•◦
◦•●◉✿ पढ़े लिखे या अनपढ़ ✿◉●•◦
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@followers #jayashree17 #jayakikalam #अनपढ़
एक ही कोने में ज़िंदगी की कई लम्हें गुज़ार दी उसने...
काग़ज़ और कलम से वो वाक़िफ़ नहीं थी..!
लिबास की उसकी क्या बात करूँ मैं...
वो लिहाज़ में ही इतनी खूबसूरत लगती थी..!
उसकी चेहरे की तो नूर अलग...
वो किसी देवी से कम नहीं लगती थी.!
लोगों से सुन सुन कर ' अनपढ़ ' खुदको...
वो अपनी ही संस्कार में, कुछ टटोलने लगी थी.!
हँस कर टाल दिया करती थी, वो कुछ सवालों को ऐसे...
जैसे उसे शब्दों की पहचान नहीं थी..!
मगर यूँ उसका हँस कर , बातों को एक अलग मोड दे देना,
उसकी समझदारी , बखूबी बयाँ कर देती थी..!
हर कोई कह जाता था ये बात बड़ी आसानी से...
वो चुप रह कर, चुप चाप चली जाती थी...!
हर एक के मन को पढ़ , समझ लेती थी वो..
जो पढ़े लिखों से भी ना होती थी..!
चूल्हे से बात बताती थी वो अपनी, उसीको हाल सुनाती थी..
तपते गरम तवे को महसूस कर वो, रोटियाँ खूब बनाती थी..!
हर स्वाद की समझ थी उसको, वो बातों को भी चख पाती थी..
लोग कहते थे ' अनपढ़ ' उसे, वो पढ़े लिखों से आगे थी..!
जयश्री ✍️
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@followers #jayashree17 #jayakikalam #अनपढ़
एक ही कोने में ज़िंदगी की कई लम्हें गुज़ार दी उसने...
काग़ज़ और कलम से वो वाक़िफ़ नहीं थी..!
लिबास की उसकी क्या बात करूँ मैं...
वो लिहाज़ में ही इतनी खूबसूरत लगती थी..!
उसकी चेहरे की तो नूर अलग...
वो किसी देवी से कम नहीं लगती थी.!
लोगों से सुन सुन कर ' अनपढ़ ' खुदको...
वो अपनी ही संस्कार में, कुछ टटोलने लगी थी.!
हँस कर टाल दिया करती थी, वो कुछ सवालों को ऐसे...
जैसे उसे शब्दों की पहचान नहीं थी..!
मगर यूँ उसका हँस कर , बातों को एक अलग मोड दे देना,
उसकी समझदारी , बखूबी बयाँ कर देती थी..!
हर कोई कह जाता था ये बात बड़ी आसानी से...
वो चुप रह कर, चुप चाप चली जाती थी...!
हर एक के मन को पढ़ , समझ लेती थी वो..
जो पढ़े लिखों से भी ना होती थी..!
चूल्हे से बात बताती थी वो अपनी, उसीको हाल सुनाती थी..
तपते गरम तवे को महसूस कर वो, रोटियाँ खूब बनाती थी..!
हर स्वाद की समझ थी उसको, वो बातों को भी चख पाती थी..
लोग कहते थे ' अनपढ़ ' उसे, वो पढ़े लिखों से आगे थी..!
जयश्री ✍️