उसका घर आना जरूरी था
वतन के खातिर निकला था, अपने दिल में जोश भरे,
देश की रक्षा करने को, जान की बाजी देने चले।
वर्दी में वो सजता था, सीना चौड़ा कर के वो चलता था,
दुश्मन भी थर-थराते थे, जब उससे आंख से आंख मिलाते थे।
पर युद्धभूमि में लड़ते-लड़ते, वो वीरगति को प्राप्त हुआ,
धर्म और देश की...
देश की रक्षा करने को, जान की बाजी देने चले।
वर्दी में वो सजता था, सीना चौड़ा कर के वो चलता था,
दुश्मन भी थर-थराते थे, जब उससे आंख से आंख मिलाते थे।
पर युद्धभूमि में लड़ते-लड़ते, वो वीरगति को प्राप्त हुआ,
धर्म और देश की...