...

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समझ नहीं आता.....
समझ नहीं आता किसे बुरा, किसे भला कहूं?
बुरे को बुरा कहो तो वह बुरा मान जाता है,
और भले को भला कहो तो वह अपने में ही इतराता है,
लेकिन जब आती है मुसीबत कभी,
तो न भला और न बुरा काम आता है।
समझ नहीं आता किसे बुरा, किसे भला कहूं?

दिल की बात बुरे से कहो तो वह हास्य बनाता है,
और भला ,कुछ मेरी सुनता और अपनी सुनाता है।
पर दिल का बोझ कहीं भी हल्का ना हो पाता है।
समझ नहीं आता किसे बुरा, किसे भला कहूं?

ये समय सीख कुछ इस तरह सिखाता है,
खुद के सिवा अपनी मदद कोई नहीं कर पाता है,
स्वार्थ की माला में बुरा और भला पास-पास ही नजर आता है,
ये सच केवल ईश्वर ही दिखाता है,
मुसीबत हो चाहे कितनी क्यों ना बड़ी ,
ईश्वर पर विश्वास ही आखिरकार काम आता है।
समझ नहीं आता किसे बुरा, किसे भला कहूं?
© Rolly
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