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तुम्हे क्या कहूं
#TrulyAlive
तुम बिन दिल लगता नहीं है मेरा अब तुम्हे क्या कहूं ।
चाहत की बात रह जाती है मेरा अधूरा अब तुम्हे क्या कहूं ॥
दिल के अरमान तेरे दिल तक जुड़े हैं मेरे ऐ साथिया ।
तुम गीत हो मेरी संगीत हो मेरी अब तुम्हे क्या कहूं ॥
प्रेम की पराकाष्ठा सिर्फ और सिर्फ मेरी तुमसे हीं है ।
तुम उम्र का हर पड़ाव हो मेरी अब तुम्हे क्या कहूं ॥
सपनों के सौदागर बन तुम आए हो मेरी जिंदगी में ।
तुम दर्द हो खुशी हो जीवन हो अब तुम्हे क्या कहूं ॥
© ✍️ विश्वकर्मा जी
तुम बिन दिल लगता नहीं है मेरा अब तुम्हे क्या कहूं ।
चाहत की बात रह जाती है मेरा अधूरा अब तुम्हे क्या कहूं ॥
दिल के अरमान तेरे दिल तक जुड़े हैं मेरे ऐ साथिया ।
तुम गीत हो मेरी संगीत हो मेरी अब तुम्हे क्या कहूं ॥
प्रेम की पराकाष्ठा सिर्फ और सिर्फ मेरी तुमसे हीं है ।
तुम उम्र का हर पड़ाव हो मेरी अब तुम्हे क्या कहूं ॥
सपनों के सौदागर बन तुम आए हो मेरी जिंदगी में ।
तुम दर्द हो खुशी हो जीवन हो अब तुम्हे क्या कहूं ॥
© ✍️ विश्वकर्मा जी
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