...

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झुलसती ख़्वाहिशें
चलते रहे सफ़र-ए-वफ़ा में ज़िंदगी के रास्ते बदलते रहे..
रात को नींदों में देखे ख़्वाब,सुबह को फिर से पलते रहे..

तपती धूप,झुलसती ख़्वाहिशें पाॅंव जमी पर जलते रहे..
काॅंधे पर उम्मीदों का थैला टाॅंक सफ़र पर निकलते रहे..

चढ़ती,ढलती धूप में भी...