...

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एक सोच
शालीनता का मुखौटा पहने कुछ लोग,
जो आपकी चौखट पर आते हैं |

हम बेटे वाले हैं बेटी मांगने आये हैं ,
अपना परिचय कुछ इस प्रकार दे जाते हैं |

कुछ खास पहचान वाले लोग जो उनको ,
आपका पता बता जाते हैं |

अपने ज़िगर का टुकडा जिनको आप,
बिना हिचकिचाहट सौंप जाते हैं |

चिंता मत कीजिये बेटी बनाकार रखेंगे,
कुछ ऐसे शब्द आपके कानो मे जो फूंक जाते हैं |

घर मे उनके कदम रखते ही जो आपको ,
बेटी तो छोडो बहू भी नहीं बना पाते हैं |

ये घर तुम्हारे हिसाब से नहीं चलेगा ,
ये एहसास आपको बार-बार करवाते हैं |

गलत को गलत कहने पर जो आपको ,
बदतमीज की उपाधी दे जाते हैं |

अपने ही घर मे जो आपको,
पराये होने का विश्वास हर पल दिलाते हैं |

ज़िन्दगीभर जो आपको कभी,
अपना नहीं बना पाते हैं |

छोटी सी गलती हो जाने पर भी जो आपको ,
क्या सिखाया माँ ने ? कहकर धमकाते है |

पूर्णतः शिक्षित होने के बाद भी जो ,
आशिक्षित होने का पूर्ण प्रमाण दे जाते हैं |

नजरो के समक्ष पक्षपात करना,
ये हमको भी सिखलाते हैं|

हाँ वो ही लोग जो आपके,
सम्बंधी कहलाते हैं |

अनुरोध है हर बेटी के माता -पिता से,
कि बेटियो को जीवन मे सक्षम बनायें|

उनको सिखाये कि गलत के आगे,
शीश झुकाना भी गलत ही होता है |

संसकारों का बोझ उनके काँधो पर डालकर ,
उनको जुल्म सहना मत सिखाईये|

आदर सिर्फ बडो का नहीं,
आदर छोटों का भी करना सिखाईये |
written by Mohita





© Mohita