वो लम्हा अब कहां गया...
वो लम्हा कहां गया...
अब बच्चे मशीनों के सहारे चलते हैं
नहीं चलते अब अंगुली थाम।
जो मैंने जिया था वो जमाना अब कहां गया।
दादी की कहानियों में परियां होती थी,
दादी की कहानियों में ढेरों नसीहत होती थी,
दादा के संग बातों की मिठास होती थी,
जो मैंने जिए थे एहसासों का वो मंज़र अब कहां गया।
परिवेश बदल रहा है,
आज की पीढ़ी के संग अपने तो है मगर रिश्तों से वो अपनापन कहां? चला गया।
चांदनी रात में बातों की...
अब बच्चे मशीनों के सहारे चलते हैं
नहीं चलते अब अंगुली थाम।
जो मैंने जिया था वो जमाना अब कहां गया।
दादी की कहानियों में परियां होती थी,
दादी की कहानियों में ढेरों नसीहत होती थी,
दादा के संग बातों की मिठास होती थी,
जो मैंने जिए थे एहसासों का वो मंज़र अब कहां गया।
परिवेश बदल रहा है,
आज की पीढ़ी के संग अपने तो है मगर रिश्तों से वो अपनापन कहां? चला गया।
चांदनी रात में बातों की...