...

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अंधेरा
मैं बंद पड़ा था कमरे मैं
दिया जलाने जरूर आना
रूठे हुए तकदीर को जरूर मिलवाना
सुना है रोते हुए को हसाया है
सोचा अंधेरे के उजाले मैं
लो अजमा लिए खुद को
अब बस मुझे और न रुलाना
मैं बंद और रूठा था कमरे मैं
सोचा और समझ था अंदर मैं
बेवक्त ही रूठा और समझ था अंदर मैं
सोता हुआ रोया था जेहन मैं
मैं बंद पड़ा था कमरे मैं

© rsoy