मैं घास हूं
मैं घास हूं -
नहीं पता , कि मेरी जड़ कहां तक है?
बस यही पता है- जो इतना लचीला हूं
कि कोई कुचल देता है ;
असहनीय पीड़ा होती है ,
पर बोलता नहीं हूं ;
क्योंकि मैं घास हूं ।
किसान आकर कई बार काटता है मुझे,
सूरज आकर जला देता है मुझे ,
कभी तो मुझे पानी भी गला देता...
नहीं पता , कि मेरी जड़ कहां तक है?
बस यही पता है- जो इतना लचीला हूं
कि कोई कुचल देता है ;
असहनीय पीड़ा होती है ,
पर बोलता नहीं हूं ;
क्योंकि मैं घास हूं ।
किसान आकर कई बार काटता है मुझे,
सूरज आकर जला देता है मुझे ,
कभी तो मुझे पानी भी गला देता...