...

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तुम्हारा ही इंतजार
आज भी नदी किनारे ही हम कर ,
रहे बेसब्री से तुम्हारा ही इंतजार।

क्योंकि अब भी करते हम तुमसे ,
प्यार इसलिए कर रहे हैं इंतजार।

जैसे रहता है इन नदियों को ,
समुंदर में समा जाने का इंतजार।

हम भी कर रहे हैं उतनी ही ,
शिद्दत से तुम्हारा ही इंतजार।

माना टूट गया है ये रिश्ता हमारा ,
तुम लौटकर ना वापिस आओगे।

पता नही क्यों फिर भी उम्मीद है ,
की तुम जरूर लौटकर आओगे।

बस दुख है तो मुझे इस बात का ,
के तुम जाते हुए मिलकर ना गए।

आख़िर क्या थी मेरी खता क्यों ,
तुम मुझे बता ना कर करना गए।

गुजारिश है तुमसे आकर मिल ,
जाओ तुम मुझसे बस एक बार।

फिर कभी भी नहीं कहेंगे हम,
तुमसे के मिलो हमसे बार-बार।