रुहानी सफ़र
तुम नही तुम्हारा अक्स भी नही
अब कोई न हो...चाहत मे !
रहने दो गर्काब मुझे तुम्हारी
यादो के...समंदर मे !
आँस नही टुटते सितारे से
खो जाउंगा ....खलाओ मे !
फना हो...
अब कोई न हो...चाहत मे !
रहने दो गर्काब मुझे तुम्हारी
यादो के...समंदर मे !
आँस नही टुटते सितारे से
खो जाउंगा ....खलाओ मे !
फना हो...