...

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हाथ 🌪से फिसलता 🌪रेत सा हुं मैं...
उस उगते🌞 सुरज की पहली किरण सा हुं मैं,
बहते पानी🌊 का दरिया🌊 सा हुं मैं।
इस अंधेरी 🌚दुनिया का चांद🌚 सा हुं मैं,
बहते 🌊पानी का 🌊दरिया सा हुं मैं।

हाथ 🌪से फिसलता 🌪रेत सा हुं मैं।
उस उगते☀️सुरज 🌞की पहली किरण सा हुं मैं।


होंसलो 😎को करके बुलंद इतना,
के सारी 🥳दुनिया झुके मेरे 💯तलब इतना।
होंसलो को 🥸करके बुलंद...