एक तरफा
एक अजीब से दो राहे पर खड़ी हूँ
जहाँ ना उसको पाना चाहती हूँ ना खोना
बस इतना जानती हूँ कि
जब उससे बात करती हूँ
तो बहुत खुश होती हूँ
उसकी कुछ नादान बातों पर
मन ही मन मुस्कुरा देती हूँ
जब कभी समझदारी वाली बात वो करता है
तो उसकी आँखों से भी समझदारी झलकती है
इसी तरह मेरी...
जहाँ ना उसको पाना चाहती हूँ ना खोना
बस इतना जानती हूँ कि
जब उससे बात करती हूँ
तो बहुत खुश होती हूँ
उसकी कुछ नादान बातों पर
मन ही मन मुस्कुरा देती हूँ
जब कभी समझदारी वाली बात वो करता है
तो उसकी आँखों से भी समझदारी झलकती है
इसी तरह मेरी...