...

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गुज़रते अजनबी
#गुज़रतेअजनबी
कभी हम अजनबी कभी तुम अजनबी
अजनबी भीड़ में सब एक दूजे के लिए अजनबी
कहां कब कैसे क्यूँ कितना समय कितनी देर
ये ऐसा शोर था जो स्टेशन के दोनों ओर था
चाय लेलो पानी लेलो
बच्चों के लिए कुछ तो लेलो
सब ओर भीड़ थी
इंतजार की कमी थी
देखते ही देखते नजरे दो हुई
दो से चार हुए इस अनजानी भीड़ में कुछ तो हुआ सही
कोई मित्रता बड़ा रहा था
कोई कमियाँ गिना रहा था
कोई किसी के इंतजार में आंसू बहा रहा था
देखते ही देखते नजरे चार से दो हुई
पल भर के राही पल भर में बह गये
हमारी गाड़ी देर से थी
हम फिर कुछ पल के लिए वही रह गये...
©vv1