गज़ल
शाम कुछ ऐसे गुजरती हमारी रोज
किसीकी तलाश में भटकता हो कोई
रात का हाल ना पूछना हमसे अब कोई
लगता है सिलवटे देख घबराता हो कोई
बस हँस कर मिल...
किसीकी तलाश में भटकता हो कोई
रात का हाल ना पूछना हमसे अब कोई
लगता है सिलवटे देख घबराता हो कोई
बस हँस कर मिल...