दूर
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
अपनी मंजिल से भटक रहा कोई।
समंदर के तलाश में बेकरार है,
पंछियों के पंखों पर उड़ान भर है;
अजनबी जगहों की...
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
अपनी मंजिल से भटक रहा कोई।
समंदर के तलाश में बेकरार है,
पंछियों के पंखों पर उड़ान भर है;
अजनबी जगहों की...