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जंजीर
#जंजीर
इन जंजीरों को तोड़कर रुख ,
हवा का मोड़कर चल रहे हैं देखो हम ;
अब नहीं है हमें भय किसी का,
अपनी मंजिल को आगे बढ़ रहे हैं हम;
रूढ़िवादी सोच रखने वालों को,
अनदेखा करके आगे को क़दम बढा रहे हैं हम;
खुली हवा में ले रहे हैं सांस,
मानो जैसे एक पिंजरे से आजाद पंछी है हम;
मिल रहा है इस दिल को सुकून,
बहुत समय से अंदर ही अंदर से घुट रहे थे हम;
मिल गए हैं पंख हमें भी,
अब खुले आसमान में उड़ते ही जा रहे हैं हम;
इन जंजीरों को तोड़कर रुख ,
हवा का मोड़कर चल रहे हैं देखो हम ;
अब नहीं है हमें भय किसी का,
अपनी मंजिल को आगे बढ़ रहे हैं हम;
रूढ़िवादी सोच रखने वालों को,
अनदेखा करके आगे को क़दम बढा रहे हैं हम;
खुली हवा में ले रहे हैं सांस,
मानो जैसे एक पिंजरे से आजाद पंछी है हम;
मिल रहा है इस दिल को सुकून,
बहुत समय से अंदर ही अंदर से घुट रहे थे हम;
मिल गए हैं पंख हमें भी,
अब खुले आसमान में उड़ते ही जा रहे हैं हम;
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