...

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नारी .....(कलयुग की)
कठपुतली ना समझो तुम...
ना बन जाओ तुम मेरी डोर...
मै इस आजाद सी दुनिया की
एक पंछी सी उडुंगी चारों ओर.....
मैं ना सहमी ना डरी हुई...
वो कन्या जो चुप खड़ी रही...
मै लड़ जाऊंगी अब सबसे ..
जब देखेंगे कोई मेरी ओर....
मै रोने की कोई...