फूल
मुस्कुराना शायद तुम्हारी आदा है,
इसलिए हर दीवाना शायद तुम पर फिदा हैं।
सबको तुम सिखाते हो,
चलना तुम बताते हो,
सब में समान हो,
ही धूप या छाव
सब में नबाब हो
बागों का गहना हो तुम
बहारों का क्या कहना हो,
मुस्कुराना शायद तुम्हारी अदा है,
इसलिए हर दीवाना तुम पर फिदा हैं
देवो का देव हो तुम
ख्वाबों का शेर हो तुम ,
निगाहों में बस जाते हो
अदावो से लिपट जाते हो ,
बहकाना शायद तुम्हारी आदा है,
इसलिए हर दीवाना तुम पर फिदा हैं।
खुशी के फूल हो तुम
सबके दिल में खिलते हो तुम,
अपनों से अपने कि तरह मिलते हो तुम,
सब में समान रहते हो,
मुस्कुराना शायद तुम्हारी आदा है,
इसलिए...