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मेरे अजीज दोस्त
ना जाने क्या चल रहा है भीतर आज
तबियत भी ठीक है पर मज़े वाली बात नहीं
ना जाने कब फ़ुरसत मिलेगी मेरे यारों को
कहने को तो साथी हैं पर कहीं मेरे साथ नहीं।
ना जाने कैसे जी रहे हैं लोग आजकल
बहकते सारा दिन हैं भीतर कोई जज़्बात नहीं।
ना जाने कौन होगा जो ठीक से समझेगा
लिखे अल्फ़ाज़ परखे भी हैं सुनी सुनाई बात नहीं।
© VK
तबियत भी ठीक है पर मज़े वाली बात नहीं
ना जाने कब फ़ुरसत मिलेगी मेरे यारों को
कहने को तो साथी हैं पर कहीं मेरे साथ नहीं।
ना जाने कैसे जी रहे हैं लोग आजकल
बहकते सारा दिन हैं भीतर कोई जज़्बात नहीं।
ना जाने कौन होगा जो ठीक से समझेगा
लिखे अल्फ़ाज़ परखे भी हैं सुनी सुनाई बात नहीं।
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