बेटी।
न जाने कहां से आती है बेटियां,
ढेर सारी खुशियों का थैला लाती है बेटियां,
जिस घर में रहती है वहां परियों की तरह रहती है।
और
जिस घर में जाती है वहां डर-डर के रहती है।
जीवन होता है,इनका दुश्वार क्योंकि हो जाती है,
यह जमाने का शिकार,
सीख जाती है अपनी नकली हंसी के साथ जीना,
और
भूल जाती है।
अपनी खुशियों के साथ जीना।
© Dolphin 🐬 (Prachi Goyal)
ढेर सारी खुशियों का थैला लाती है बेटियां,
जिस घर में रहती है वहां परियों की तरह रहती है।
और
जिस घर में जाती है वहां डर-डर के रहती है।
जीवन होता है,इनका दुश्वार क्योंकि हो जाती है,
यह जमाने का शिकार,
सीख जाती है अपनी नकली हंसी के साथ जीना,
और
भूल जाती है।
अपनी खुशियों के साथ जीना।
© Dolphin 🐬 (Prachi Goyal)