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दर्पण प्रतिबिंब
#दर्पणप्रतिबिंब
देखता हूं खुद को जब आईने में
खुद के लिए कुछ खोजता हूं,
वैसे तो समय ही नहीं मिल पाता
सारा वक्त दूसरों के लिए सोचता हूं
खुद की तस्वीर बयां होती है जब
कुछ आंसू भर आते हैं तब,
मैं भी हूं इस दुनिया में अक्स दिखता है
न जाने क्यूं दिल दुखता है,
खुद की तस्वीर बयां होती है जब
कुछ खुशी झलक आती है तब,
मैं भी हूं इस दुनिया में खुशी पाने
गाने, मुस्कुराने, कुछ गुनगुनाने
आइना को देख मैं कुछ खुद के लिए सोच पाता हूं......
देखता हूं खुद को जब आईने में
खुद के लिए कुछ खोजता हूं,
वैसे तो समय ही नहीं मिल पाता
सारा वक्त दूसरों के लिए सोचता हूं
खुद की तस्वीर बयां होती है जब
कुछ आंसू भर आते हैं तब,
मैं भी हूं इस दुनिया में अक्स दिखता है
न जाने क्यूं दिल दुखता है,
खुद की तस्वीर बयां होती है जब
कुछ खुशी झलक आती है तब,
मैं भी हूं इस दुनिया में खुशी पाने
गाने, मुस्कुराने, कुछ गुनगुनाने
आइना को देख मैं कुछ खुद के लिए सोच पाता हूं......
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