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ग़ज़ल
नज़र से नज़र को मिला कर तो देख,
मुझे धड़कनों में बसा कर तो देख।
मैं मोती हूंँ अल्फाज़ का जाने जांँ,
मुझे शायरी में सजा कर तो देख।
सुनेगा ज़माना तिरे दिल की बात
तू बातों को अपनी बता कर तो देख।
ये जाम ए नज़र का चढ़ेगा सरुर,
तू नज़रों से अपनी पिला कर तो देख।
है कैसे ये मुम्किन के ना आऊंँगा,
मुझे तू ज़रा सा बुला कर तो देख।
© ishqallahabadi🖋
मुझे धड़कनों में बसा कर तो देख।
मैं मोती हूंँ अल्फाज़ का जाने जांँ,
मुझे शायरी में सजा कर तो देख।
सुनेगा ज़माना तिरे दिल की बात
तू बातों को अपनी बता कर तो देख।
ये जाम ए नज़र का चढ़ेगा सरुर,
तू नज़रों से अपनी पिला कर तो देख।
है कैसे ये मुम्किन के ना आऊंँगा,
मुझे तू ज़रा सा बुला कर तो देख।
© ishqallahabadi🖋
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