स्टेशन
मिलने का अपना वो वादा,
कुछ अतरंगी खयाल लिए,
तुम को सोंचते थे हम, ना
जाने क्या क्या सवाल लिए,
एक ग़मछा गले में डाल,
वीरान खामोशी के लिए,
हम को मिलना था तुम से,
उस स्टेशन पर कि जहां से,
घर तुम्हारा बहुत नजदीक था,
कि हम तुम मिलते चुपके से,
और हमारे आँसू तहलका करते,
पर शायद वो स्टेशन कभी नहीं आया.
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कुछ अतरंगी खयाल लिए,
तुम को सोंचते थे हम, ना
जाने क्या क्या सवाल लिए,
एक ग़मछा गले में डाल,
वीरान खामोशी के लिए,
हम को मिलना था तुम से,
उस स्टेशन पर कि जहां से,
घर तुम्हारा बहुत नजदीक था,
कि हम तुम मिलते चुपके से,
और हमारे आँसू तहलका करते,
पर शायद वो स्टेशन कभी नहीं आया.
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