मन ही कुंजी है
मन के मनके सच्चे मोती थे नहीं पहचान सके
मन के दर्पण में ज्योति थी नहीं जान सके
मन के पटल में काई जमी थी नहीं छान सके
मन के मनन में अगन छुपी थी नहीं ताप सके
मन के घट में शैतान फितरत नहीं पहचान सके
मन के बहकावे रास रंग में हम बहक गये
मन के संयम का महत्व नहीं समझ सके...
मन के दर्पण में ज्योति थी नहीं जान सके
मन के पटल में काई जमी थी नहीं छान सके
मन के मनन में अगन छुपी थी नहीं ताप सके
मन के घट में शैतान फितरत नहीं पहचान सके
मन के बहकावे रास रंग में हम बहक गये
मन के संयम का महत्व नहीं समझ सके...