...

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kya tum kaabil ho?
अब थाम तो लिया है तुम्हारा हाथ
पर क्या तुम दे पाओगे मेरा साथ?
अतीत के सारी यादें दफना कर, कि हे मैंने नई शुरुवात,
पर क्या तुम भुला पाओगे वो अतीत के जज़्बात?
हां माना जिंदगी सबकी मुश्किल रही है,
पर क्या तुम में फिर जीने की ख़्वाईश बाकी है?
दिल ये मेरा अब भी नाज़ुक सा है,
पर क्या तुम में इसे संभालने की ताकत है?
रूह में अब भी ढोके का डर बैठ सा गया हे,
पर क्या तुम मे इस मन में फिर से विश्वास भरने की काबिलियत है?

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