...

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हम हो गए तुम्हारे😊
सूनी थी रहगुज़र, थे बीमार सब अपने सितारे,

कौन था मेरा, किसको आख़िर, तन्हा दिल यूँ पुकारे।


सबब न था कोई फिर भी, जाने कब तुम से मिलकर,

दिल बारहा तुझे पुकारे, तेरे सहारे, हम हो गए तुम्हारे।


देखो नज़ारों में कशिश है अब, तेरी, दिल में तपिश है अब,

हूँ तो यूँ भी तन्हा ही पर, न दिल में कोई खलिश है अब।


तुमसे मिलकर जाना ,जानां हमनें, क्या होती हैं बहारें,

दिल टूट कर बारहा पुकारे, तेरे बिना रे, हम हो गए तुम्हारे।

© विवेक पाठक