...

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तेरे माथे को चूम लूं...
तू था जब नन्हा सा
मैं रोज तुझे
अपनी बाहों में उठाती
कंधे पर बीठा
पूरे बाजार सैर कराती
लोरी सुनाकर
अपनी गोद में सुलाती
रोने पर तेरे संग
रोन लग जाती
कितने जतन कर तुझको हंसाती
गिरने पर फिर से उठाती
तुझे अपनी उँगलियाँ पकड़ा चलाती
तुझे हर वक्त नई नई
चीज़ें सिखलाती
तुझे अच्छा...