...

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आओ किसी दिन.....
मेरे चेहरे पे अपनी जुल्फों को फैलाओ किसी दिन
क्यों बस रोज़ गरजते हो, बरस जाओ किसी दिन

राजाओं की तरह आओ मेंरे दिल में किसी दिन
किस्मत सी मेंरे हाथ की, खुल जाओ किसी दिन

पेड़ों की तरह तेरे हुस्न की बारिश में नहा लूँ, मैं
बादल की तरह झूम के मेरे घर आओ किसी दिन

ख़ुशबू की तरह गुज़रो कभी मेरे दिल की गली से
फूलों की तरह मुझ पे, बिखर जाओ किसी दिन

गुज़रें ऐसे मेरे घर से, कि रुक जाएँ सितारे भी
आकर के मेरी रात को, चमकाओ किसी दिन

अपनी हर इक साँस मैं उस रात को निछावर कर दूं
सर रख के अपनी गोद में, मुझे सुलाओ किसी दिन

© Vineet