...

10 views

शृंगार करूं,,,
आज मन है, खुद को तुम पर खर्च करूं
बादल बन बरस , तुम्हे फिर से हरा करु

अपनी नजरों से नजर उतारू तुम्हारी
और फिर तुम्हारा श्रृंगार नया करूं

छांऊ ऐसे की , तुम्हे पूरा ढक लू
तेरी हर छूअन को फिर अपना करूं

समा रहे हो ऐसे मेरी रूह में कि
छोड़ अपना मकान तेरे तन में घर करूं


© char0302