सह जाते हैं हम
राज़ ए दिल कहां कह पाते हैं हम।
कुछ सोच के बस रह जाते हैं हम।।
कहीं हो न तुम्हारी दिल्लगी ये भी।
दिलकी लगी बस सह जाते हैं...
कुछ सोच के बस रह जाते हैं हम।।
कहीं हो न तुम्हारी दिल्लगी ये भी।
दिलकी लगी बस सह जाते हैं...