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शीर्षक - सड़क
#सड़क
आधा सड़क सरकार का,
आधा सड़क निर्माणकार का;
आधा सड़क बेघर यार का,
आधा सड़क धूल उड़ा रहा,
गड्ढे दुर्घटनाओं को न्यौता दे रहा,
आधा सड़क उजाड़ रहा मुखिया परिवार का।

आधा सड़क खोल रहा पोल नेताओं की,
आधा सड़क वजह है कई चिताओं की,
आधा सड़क बन रहा काल घर- वार का।
आधा सड़क तोड़ रहा रोज नए सपने संसार का।

आधा सड़क खा रहा है इंसानो को,
आधा बना सड़क वाहन तोड़ रहा खिलौने की तरह।
आधा सड़क बता रहा भ्रस्टाचार् को,
आधा सड़क विखरा रहा लाखों परिवार को।
पता नहीं कब ये भ्रस्टाचार खत्म होंगे,
पता नहीं कब अच्छे सड़क निर्माण होंगे।
रिया दुबे
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