दुविधा
मान पाखंडी समाज की बात
विष का प्याला मैंने पी लिया
तोड़ कर वैदेही से नाता मैंने
हर सुख से भी नाता तोड़ लिया
लोगों ने तो माना मुझे भगवान
पर कर वैदेही के साथ अन्याय
ख़ुद को आजीवन गुनहगार बना लिया
विष का प्याला मैंने पी लिया
तोड़ कर वैदेही से नाता मैंने
हर सुख से भी नाता तोड़ लिया
लोगों ने तो माना मुझे भगवान
पर कर वैदेही के साथ अन्याय
ख़ुद को आजीवन गुनहगार बना लिया