...

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उदासी
उदासी चलती इबादत की तरह सेैर मे,
नज्म आ रही पास मेरे रात देर मे,

ख्बाव जा रहे है सामने पास से मेरे
नींद आ रही है लेकिन दो-पहर मे,

लब्ज उड़ रहे है जैसे तूफान की तरह,
स्याही खत्म हो चुकी है जैसे मेरे पेन मे,

हवा जल रही है रात मे दो -पहर मे,
सुकून से मिल रहे हैं पेड़ जैसे मानसून मे,
✍️©️ सत्यम दुबे
© Satyam Dubey