...

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कैसा हो अगर
कैसा हो अगर ,जब तुझे मेरे परिवार जैसा परिवार तुझे मिल जाए!
कैसा हो अगर, जब तू भी किसी के घर इज्जत तेरे हावाले हो जाए!
कैसा हो अगर तू उसको अपने हक मे रखने के लिए लड़ जाए
और , तुझे उस मोह्ब्बत में दगा मिल जाए!
कैसा हो अगर, सब जान कर तुझे तेरी हक ना मिले

कैसा हो अगर, ये सब तेरे साथ हो जाए
कही तब जाकर तुझे मेरे दर्द एहसास जाए
कैसा हो अगर फिर हमारी मुलाकात हो जाए
तब तुम सब जान कर खामोश हो जाओ!
कैसा हो अगर
चलो जाने दो, मेरी बीती अब मुझ पर ही बीते
इतनी इलतजा मैं करुगी Prachi sharma
© pandit's girl