...

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प्रिय पापा
प्रिया पापा,
आपका उपकार बहुत हैं हम पे,सोचती हूं।
क्या कभी चुका पाऊंगी मैं उन्हें...??
पापा आप सा कोई मेरा हाथ कहां थामता..??
रंग रूप गुण जोश जुनून और महत्वाकांक्षा"
सब मुझे आप से ही मिला,
शिक्षा संस्कार और सहनशीलता आगे बढ़ने की क्षमता नई-नई तकनीकें सीखने की इच्छा मुझे आप ने ही दिया।
पापा आज अपने मन के भावों को मैं कागज पे बयां कर रही हूं। आप से ही सीखा है एहसासों को दबाना नहीं बल्कि बयां करना चाहिए। पापा आप मेरे रोल मॉडल मेरी प्रेरणा हो।
आप ने कहा था प्यार वो चाबी है ।जिससे हर बंद रिश्तों की ताला बड़े आराम से खुल जाती है। मैंने भी इसे महसूस किया है।अगर आपने वक्त पर मुझे वो सलाह ना दी होती तो पता नहीं मेरा क्या होता..?
रिश्तों की मर्यादा को समझा कर आपने मेरा घर टूटने से बचा लिया..!!
किरण

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