बेटी नही वरदान थी वो !!
माँग में अपनी सितारे भरकर
हाथ में अपनी बहारें भरकर
वो हो गई विदा चौखट से फिर
रख कांधे पर सिर और दहाड़े भरकर,
पाने को जिसकी सब दुआएं करते
जिसकी सब दिन रात बलाएँ भरते
अभी अभी तो आई थी वो
रोते हुए मुस्कुराई थी वो ,
पकड़ उंगली लड़खड़ाई थी वो
मुझे पापा पापा बुलाई थी वो
सबके चेहरों पर वो मुस्कान रखती
छोटे से हाथों से सबका ध्यान रखती
कभी गलतियों पर...
हाथ में अपनी बहारें भरकर
वो हो गई विदा चौखट से फिर
रख कांधे पर सिर और दहाड़े भरकर,
पाने को जिसकी सब दुआएं करते
जिसकी सब दिन रात बलाएँ भरते
अभी अभी तो आई थी वो
रोते हुए मुस्कुराई थी वो ,
पकड़ उंगली लड़खड़ाई थी वो
मुझे पापा पापा बुलाई थी वो
सबके चेहरों पर वो मुस्कान रखती
छोटे से हाथों से सबका ध्यान रखती
कभी गलतियों पर...