भागी लड़की
गुलशन में अब रंग बू बहार नहीं है।
चटकी हुई कली का यार नहीं है।
तितलियां बेपर्दा जब से आ गयीं।
अब हवस है बाकीं प्यार नहीं है।
बिजली गिर जाती थी मिज़गासे?
अब उन नजरों में कोई धार नहीं है।
गुलों के अधरों के आते थे भौरें ।
अब मक्खी को भी ऐतबार नहीं है।
एक लाश अटैची में देखकर हुए दंग।
अबला या बद है पर किरदार नहीं है।
सब ने कुछ कहा मैं खामोश था खड़ा।
वो प्यार में भागी थी समझदार नहीं है।
© abdul qadir
चटकी हुई कली का यार नहीं है।
तितलियां बेपर्दा जब से आ गयीं।
अब हवस है बाकीं प्यार नहीं है।
बिजली गिर जाती थी मिज़गासे?
अब उन नजरों में कोई धार नहीं है।
गुलों के अधरों के आते थे भौरें ।
अब मक्खी को भी ऐतबार नहीं है।
एक लाश अटैची में देखकर हुए दंग।
अबला या बद है पर किरदार नहीं है।
सब ने कुछ कहा मैं खामोश था खड़ा।
वो प्यार में भागी थी समझदार नहीं है।
© abdul qadir