बरसात
जब जब झपके तेरी आँखे
नशा कुछ ऐसा मुझपे चढ़ता है
चाह कर भी मैं रोक ना पाऊं
जाने क्या जादू ये करता है
इन सारे अफसानो में
जुल्फों का समा कुछ ऐसे छा जाता है
बरसात के दिनों में जैसे
दिन दहाङे अंधेरा हो जाता है
नशा कुछ ऐसा मुझपे चढ़ता है
चाह कर भी मैं रोक ना पाऊं
जाने क्या जादू ये करता है
इन सारे अफसानो में
जुल्फों का समा कुछ ऐसे छा जाता है
बरसात के दिनों में जैसे
दिन दहाङे अंधेरा हो जाता है