...

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मन भी हमारी बाते सुनता है ।
मन की चंचलता और चपालता को जाने हर कोय,
बात किसी का ना माने,
हत पल अपनी धुन मे होय ।

मन नही कोई बस्तु ,कोई खेल,
जीवन का गहरा है इससे मेल।

एक बात हम समझे ओर समझाये,
हमारी बाते मन को हैं भाये।

मन हमारी सुनता,नही सुनाता अपनी,
गीत पुराने हो फिर भी भाते मन को ।

मन सुन्दर ,सब सुन्दर ,
यह बात पुरानी लगती हैं ।
ओर कलयुग में यह बात कहानी लगतीं है ।

कहते हम जैसा जाये ,
मन वेसा करता जाये ।
साधु सन्यासी भी बात यही बतलाये ।
मन हमारी सुनता,
नही सुनाता अपनी ।
priyanka dwivedi..

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