...

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मन भी हमारी बाते सुनता है ।
मन की चंचलता और चपालता को जाने हर कोय,
बात किसी का ना माने,
हत पल अपनी धुन मे होय ।

मन नही कोई बस्तु ,कोई खेल,
जीवन का गहरा है इससे मेल।

एक बात हम समझे ओर समझाये,
हमारी बाते मन को हैं...