...

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समझौता जिन्दगी का.।
#सांझ
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका,
थोडा ख्याल कर लो ये शरीर किसका है,
आलस में बीती जिन्दगी जीवन कैसा है,
आसान नही ये सफर यूं लम्हे बताकर,
जिन्दगी जीनी है फिर दिखावे का झोल है,
© राज