...

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काशी और तुम
काशी की तंग गलियों सी,
तुम सुंदर अस्सी घाट प्रिये।
मैं तपती धूप दुपहरी की,
तुम शीतल चाँदनी रात प्रिये।
मैं बाज़ारों की भौतिकता,
तुम मणिकर्णिका का सच हो।
तुम बिन क्या...