...

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इंतज़ार की हद
कटती नही यें घड़ियां
ताक़ते रहते जो रस्ता
पर कभी कभी
इंतज़ार की भी हद हो जाती।

खोएं से रहते जाने क्यों
उनके ही खयालों में
आने के पहले से ही 
उनकी याद बहुत आती।

फूल बिछाए देर हुई 
चले अब मुरझाने को
खिल उठते अगर
आहट ही दस्तक दे जाती।

तरस रहीं निगाहें उनकी
झलक जो पाने को
यें आँखे हैं ऐसी
देखते...