...

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दिल
दिल खोलकर रो भी लेता हूं बहुत,
उतना ज्यादा हंस भी लेता हूं,

जमाने से दूर भाग भी सकता हूं,
खुद में उतना डुब भी सकता हूं,

खालों के आसमान में उड़ता भी हूं,
किसी के दिल से गिरना नहीं चाहता,

जि जान लुटाकर प्यार करता भी हूं
गेरों को उतना ही दिल से लगाता भी हूं,

सारी दुनिया को प्यार का नगमा ,
सुना ना चाहता हूं,
सारे जहां को जादुई,
नगरी बनाना चाहता हूं,

ताआरुफ़ बस इतना ही है मेरा कि,
मुझे पाकर ख़ुद को ,
बेमिसाल पा सकते हों ...


© Hiren Brahmbhatt -- Hirswa