...

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भूल गए वो नाम तक
रोना सुबह से शाम तक,
पहुंचा देगा राम तक,

इश्क में बस दिल ही नहीं टूटा ,
हो गए हम बदनाम तक ,

सोचा था कि ऐश करेंगे ,
मिला नहीं आराम तक,

तड़प तड़प के प्यासे मर गए,
हाथ न पहुंचा जाम तक,

जिनकी सूरत याद है अब भी,
भूल गए वो नाम तक,

इश्क ने चैन वैन सब छीना ,
जीना किया हराम तक,

दिल भी नहीं रहा सीने में
जेब में रहा ना दाम तक

कहते थे कि सब कर देंगे
हुआ नहीं इक काम तक,

दर्द से तड़प तड़प कर मर गए,
मिला न झंडू बाम तक,

कह तो सही तू बन जायेंगे
नौकर दास गुलाम तक,

इतनी दूर नहीं तुझसे कि,
पहुंचे नहीं सलाम तक,
© राम अवतार "राम"