...

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सुहागिन हूँ मैं
सांसों के निरंतर चलने का जश्न क्यों न मनाऊं मैं
क्यों न डूबती इन सांसों से लड़ जॉऊ मैं
इससे पहले की उंगलियों में कम्पन होने लगे
क्यों न तह लगी साड़ियों को पहनू जी जॉऊ मैं
क्यों किसी अवसर का इंतजार करूँ मैं
क्यों रो रोकर जीवन की...