...

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आज की रात मैं लिख सकता हूं!
आज की रात मैं लिख सकता हूँ,
प्यार भरी मुलाकात को।
लिख सकता हूँ मसलन मैं
तारों वाली रात को।

हो इजादत तो लिखूं मैं
साथ बिताए लम्हों को
तुम कह दो तो लिख सकता हूँ
गीतों मैं भी प्यार को।

तुम हो गर मैरे साथ तो
खिलता हूँ मैं फूल सा,
तुम जो नही हो तो वह फूल हूँ
जो न कभी खिल सकता है।

लिख सकता हूँ
गा सकता हूँ
लेकिन मैं तुमसे नही मिल सकता।

गाता हूँ गीतों मैं तुमको
तुमसा ही अब दिखता हूँ।
गीतों के मरहम से अब मैं
विरह घाव को भरता हूँ।

आज की रात मैं लिख सकता हूँ,
तारों वाली बातों को।